First day of Navratri mantra, प्रथम शैलपुत्री Aarti, प्रथम शैलपुत्री मंत्र, First day of Navratri in Hindi, माता शैलपुत्री की पूजा विधि, maa shailputri ki puja vidhi, Maa Shailputri mantra, Shailputri Mata Ki Katha, Shailputri Mata Ki Aarti
Maa Shailputri Ki Puja Vidhi, Mantra, Katha, Aarti in Hindi : अगर आप नवरात्रि में पूजा करना चाहते हैं तो नवरात्रि में पहले दिन इस विधि से करें मां शैलपुत्री की पूजा इस पोस्ट में हम आपके साथ माता शैलपुत्री की पूजा विधि, मंत्र, कथा, आरती शेयर किऐ है अगर आप नवरात्रि में पूजा करते हैं तो यह पोस्ट आपके काम आइएगा इसे ध्यान से जरूर पढ़ें यहाँ पढ़े माँ ब्रह्मचारिणी के पूजा विधि
जैसा कि आप सभी को मालूम होगा कि नवरात्रि 26 सितम्बर से आरंभ हो रहा है और सभी नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है माता रानी के इस नौ रूपों के पूजा करने से अलग अलग विशेष लाभ प्राप्त होतें है शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री (Maa shailputri) की पूजा का विधान है आइये इस पोस्ट के माध्यम से जानते हैं मां शैलपुत्री का स्वरूप, माता शैलपुत्री की पूजा विधि, Maa Shailputri mantra, Shailputri Mata Ki Katha, Shailputri Mata Ki Aarti
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आपके जानकारी के लिए बता दूँ कि माँ शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की संतान हैं माँ शैलपुत्री को वृषोरूढ़ा, सती, हेमवती, उमा के नाम से भी जाना जाता है आपके जानकारी के लिए एक बात और बता दूँ कि माँ शैलपुत्री सभी पशु-पक्षियों, जीव की रक्षक मानी जाती है
मां शैलपुत्री का स्वरूप (Maa Shailputri Swaroop )
आपको बता दूँ कि मां शैलपुत्री श्वेत वस्त्र धारण करती है और वृषभ की सवारी करती है मां शैलपुत्री के दाएं हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है मां शैलपुत्री माँ दुर्गा का प्रथम स्वरूप हैं एक बात आपको और बता दूँ कि मां शैलपुत्री को स्नेह, करूणा, धैर्य और इच्छाशक्ति का प्रतीक भी माना जाता है
मां शैलपुत्री की पूजा विधि ( Maa Shailputri Puja vidhi )
नीचे हमने मां शैलपुत्री की पूजा विधि ( maa shailputri ki puja vidhi) के बारे में जानकारी दिऐ है
जैसा कि आप सभी को मालूम है कि नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है माँ शैलपुत्री की पूजा से पहले शुभ मुहूर्त में घटस्थापना करें फिर अखंड ज्योति प्रज्वलित करें और भगवान गणेश का अव्हान करें आपको बता दूँ कि मां शैलपुत्री का प्रिय रंग है सफेद है इसलिए मां शैलपुत्री की पूजा में सफेद रंग की वस्तुओं का प्रयोग करें नहाने के बाद सफेद वस्त्र पहने
पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह करके पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं फिर इस पर मां दुर्गा की तस्वीर स्थापित करें पूजा में आप कुमकुम, सफेद चंदन, हल्दी, अक्षत, सिंदूर, पान, सुपारी, लौंग, नारियल 16 श्रृंगार का सामान अर्पित करें माता रानी को सफेद रंग की पुष्प, सफेद मिठाई से भोग लगाएं इसके बाद धूप, दीप लगाकर मां दुर्गा को इस मंत्र से जाप करें सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते इसके साथ ही साथ मां शैलपुत्री के मंत्रों का 108 बार का जाप करें कथा पढ़े और फिर देवी की आरती करें संध्या में भी रोज नौ दिन 9 देवियों की आरती करें
मां शैलपुत्री की पूजा का मंत्र (Maa Shailputri Puja Mantra)
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
मां शैलपुत्री की आरती ( Shailputri Mata Ki Aarti )
शैलपुत्री मां बैल पर सवार। करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।
मां शैलपुत्री की कथा (Shailputri Mata Ki Katha)
एक बार प्रजापति दक्ष ने बहुत बड़ा यज्ञ किया उस यज्ञ में प्रजापति दक्ष ने सभी देवताओं को निमंत्रण दिया परन्तु शिव भगवान को उन्होंने निमंत्रण नहीं दिया जब सती को इस बारे में पता चला कि उनके पिता एक अत्यंत विशाल यज्ञ का अनुष्ठान कर रहे हैं तब उनका मन वहाँ जाने के लिए बैचेन हो गया फिर उन्होंने भगवान शिव को अपने मन की यथा बताई सभी बातों पर विचार करने के बाद शिव भगवान ने मां सती से कहा प्रजापति दक्ष किसी कारण वश हमसे रूठ गयें है अपनी यज्ञ में उन्होंने सभी देवताओं को बुलाया है
और उनके यज्ञ भाग में उन्हें समर्पित किऐ है परन्तु हमको जान बुझकर नहीं बुलाया हमें कोई सुचना तक नहीं भेजी ऐसी स्थिति में तुम्हारा वहाँ जाना किसी भी प्रकार से उचित नहीं है भोले बाबा के उपदेश से माता सती का मन शांत नहीं हुआ पिता का यज्ञ देखने और वहाँ जाकर अपनी माता और बहनों से मिलने की उनकी इच्छा किसी भी प्रकार कम ना हो पायी उनका प्रबल इच्छा देखकर भगवान शिव ने उन्हें वहाँ जाने की अज्ञा दे दी सती जब अपने पिता के घर पहुंचे तो
उन्होंने वहाँ देखा सिर्फ उसके माता उससे बात करना चाहती थी माँ के आलावा सभी ने माँ सती से मुंह फेर रखा था इस अपमान को माता सती सहन नहीं कर पायी और उन्होंने यज्ञ में अपने शरीर में जला कर भस्म कर लिया फिर माता सती का जन्म पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया इस बार माता सती शैलपुत्री के नाम से विख्यात हुई
निष्कर्ष :
आज की इस पोस्ट में आपने जाना माता शैलपुत्री की पूजा विधि,स्वरूप, मंत्र, कथा, आरती मै उम्मीद करता हूँ कि आपको Maa Shailputri Ki Puja Vidhi, Mantra, Katha, Aarti in Hindi की जानकारी पसंद आया होगा अगर आपको यह जानकारी पसंद आया तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर जरूर करें अगर इससे संबंधित आपके मन में कोई सवाल है तो आप कमेंट जरूर करें
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