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( 2022 ) नवरात्रि का दूसरा दिन : जानिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, स्वरूप, मंत्र, कथा, आरती | Maa Brahmacharini Puja Vidhi, Mantra, Katha, Aarti in Hindi

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Maa Brahmacharini Puja Vidhi, Mantra, Katha, Aarti in Hindi : अगर आप नवरात्रि में पूजा करना चाहते हैं तो नवरात्रि के दुसरे दिन इस विधि से करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा इस पोस्ट में हम आपके साथ माता ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, मंत्र, कथा, आरती शेयर किऐ है अगर आप नवरात्रि में पूजा करते हैं तो यह पोस्ट आपके काम आइएगा इसे ध्यान से जरूर पढ़ें 


Maa Brahmacharini Puja Vidhi

दोस्तों नवरात्रि के दुसरे दिन माँ दुर्गा के दुसरे स्वरूप ब्रह्माचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है दोस्तों माता ब्रह्माचारिणी के नाम में ही शक्तियों की महिमा का वर्णन मिलता है माता ब्रह्माचारिणी के नाम का पहला अक्षर हैं ब्रह्म जिसका अर्थ होता है तपस्या और दुसरा अक्षय है चारिणी जिसका अर्थ होता है आचरण करने वाली अर्थात तप का आचरण करने वाली शक्ति को हम बार-बार नमन करते हैं। माँ दुर्गा के इस स्वरूप को पूजा करने से तप, त्याग, संयम, सदाचार आदि की वृद्धि होती है। आइये इस पोस्ट के माध्यम से जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप, माता ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, Maa Brahmacharini mantra, Brahmacharini Mata Ki Katha, Brahmacharini Mata Ki Aarti


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मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप (Maa Brahmacharini Swaroop )


मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप श्वेत वस्त्र में लिपटी हुई कन्या के रूप में है,इस माता के एक हाथ में अष्टदल की माला है और दूसरे में कमंडल है। यह अक्षयमाला और कमंडल धारिणी ब्रह्मचारिणी नामक दुर्गा शास्त्रों के ज्ञान और निगमागम तंत्र-मंत्र आदि से संयुक्त हैं। माता ब्रह्मचारिणी का स्वरूप बहुत ही सादा और भव्य है। अन्य देवियों की तुलना में माँ ब्रह्मचारिणी अतिसौम्य, क्रोध रहित और तुरंत वरदान देने वाली देवी हैं।



मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि ( Maa Brahmacharini Ki Puja vidhi )


आपके जानकारी के लिए बता दूँ कि माँ दुर्गा के दुसरे स्वरूप यानि माता ब्रह्मचारिणी की पूजा शास्त्रीय विधि से किया जाता है 


  • सुबह शुभ मुहूर्त में मां दुर्गा की उपासना करें
  • मां की पूजा में पीले या सफेद रंग के वस्त्र का उपयोग करें।
  • माता को सबसे पहले पंचामृत से स्नान कराएं
  • इसके बाद रोली, अक्षत, चंदन आदि अर्पित करें।
  • मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में गुड़हल या कमल के फूल का ही प्रयोग करें।
  • माता को दूध से बनी चीजों का ही भोग लगाएं।
  • इसके साथ ही मन में माता के मंत्र या जयकारे लगाते रहें।
  • इसके बाद पान-सुपारी भेंट करने के बाद प्रदक्षिणा करें।
  • फिर कलश देवता और नवग्रह की पूजा करें।
  • घी और कपूर से बने दीपक से माता की आरती उतारें
  • दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
  • पाठ करने के बाद सच्चे मन से माता के जयकारे लगाएं



मां ब्रह्मचारिणी मंत्र (Maa Brahmacharini Mantra) 


या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।


दधाना कपाभ्यामक्षमालाकमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।


मां ब्रह्मचारिणी की आरती ( Brahmacharini Mata Ki Aarti ) 


जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।

जय चतुरानन प्रिय सुख दाता। 

ब्रह्मा जी के मन भाती हो। 

ज्ञान सभी को सिखलाती हो। 

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा। 

जिसको जपे सकल संसारा। 

जय गायत्री वेद की माता। 

जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।

कमी कोई रहने न पाए। 

कोई भी दुख सहने न पाए। 

उसकी विरति रहे ठिकाने।


जो ​तेरी महिमा को जाने। 

रुद्राक्ष की माला ले कर। 

जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर। 

आलस छोड़ करे गुणगाना। 

मां तुम उसको सुख पहुंचाना। 

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम। 

पूर्ण करो सब मेरे काम। 

भक्त तेरे चरणों का पुजारी। 

रखना लाज मेरी महतारी।



मां ब्रह्मचारिणी की कथा (Brahmacharini Mata Ki Katha)


सती के रूप में यज्ञ के अग्नि में स्वयं को भस्म कर देने के बाद देवी ने पर्वतराज हिमालय के पुत्री के रूप में जन्म लिया तब उनका नाम पार्वती या हेमावती या शैलपुत्री रखा गया जब पार्वती बड़ी हुई तब ब्रह्म के मानस पुत्र देव त्रषि नारद ने उन्हें दर्शन दिऐ उन्होंने पार्वती को बताया कि अगर वह तपस्या की राह पर चले तब उन्हें पूर्वजन्म के पति भगवान भोलेनाथ ही पति के रूप में मिलेगें नारदा जी के उपदेश से भगवान शंकर को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए पार्वती ने घोर तपस्या की इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपस्याचारणि और ब्रह्मचारिणी का नाम दिया गया ब्रह्मचारिणी रूप में पार्वती जी ने एक हजार वर्ष केवल फल फूल खाकर ही बिताऐ और सौ वर्षों तक जमीन पर रहकर शार्क का निरवाह किया 


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कई वर्षों तक कठिन उपवास रखें और खुले आसमान के नीचे सर्दी, गर्मी और बरसात के घोर कष्ट सहे तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बेलपत्र खाऐ और भगवान शंकर की आराधना करती रही इसके बाद तो उन्होंने सुखे बेलपत्र खाने छोड़ दिऐ कई हजार वर्षों तक निर्जल और निरआहार रह कर वह तपस्या करती रही पतों को खाना छोड़ देने के बाद इनका नाम अपर्णा परा घोर तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम चीर हो गया देवता त्रषि सिद्ध कर मुनि आदि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पूण्यकृत बताया 



उन्होंने देवी की सराहना करते हुऐ कहा कि हे देवी आज तक किसी ने इस तरह कि कठोर तपस्या नहीं की यह सब तुम्ही से ही संभव हो पाया तुम्हारी मनोकामनाएं अवश्य ही पूर्ण होगा और भगवान शिव ही तुम्हे पति के रूप में प्राप्त होगें अब तुम तपस्या छोड़कर घर लौट जाऔ जल्द ही तुम्हारे पिता तुम्हे बुलाने आ रहे हैं कठोर तपस्या करने के बाद पार्वती माता को ब्रह्मचारिणी के रूप में जाना जाने लगा बाद में भगवान शिव ने पार्वती जी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया माँ दुर्गा का यह अवतार तपस्या, भक्ति , संयम और एकांत में रहना सिखाती है


निष्कर्ष :


आज की इस पोस्ट में आपने जाना मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, स्वरूप, मंत्र, कथा, आरती  मै उम्मीद करता हूँ कि आपको Maa Brahmacharini Ki Puja Vidhi, Mantra, Katha, Aarti in Hindi की जानकारी पसंद आया होगा अगर आपको यह जानकारी पसंद आया तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर जरूर करें अगर इससे संबंधित आपके मन में कोई सवाल है तो आप कमेंट जरूर करें


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